एक मुलाक़ात ऐसी भी

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चारों तरफ़ बर्फ़ से ढकी दुकाने थी...उन दुकानो में एक दुकान किताबों की भी थी... जिसका दरवाज़ा हमेशा खुला रहता... और दुकान मे सामने ही एक लड़की हिजाब पहने बैठी दिखायी देती... जो दुकान में आने वाले हर शख़्स को बस एक नज़र देखती और फिर अपनी किताब के पीछे छुप जाती...दुकान हिंदू की थी तो शायद वो वहाँ काम करती थी...एक लड़का हर रोज वहाँ से गुज़रता और एक पल के लिए वहाँ रुक ही जाता...वो आँखे उसके ज़हन में बस गयी थी... वो कोशिश करता कि शायद वो एक बार और उसे देख ले...पर लड़की हमेशा अपनी किताबों