चलते-चलते अब दोपहर हो चुकी थी । ऊपर आसमान में सूरज काफी जोरों से चमक रहा था । मगर यहाँ जंगल में पेड़ों की छाँव ही काफी थी ठंडक के लिए ।राशि चलते-चलते थक चुकी थी । वह आराम करना चाहती थी । जब उसने एक पेड़ के नीचे पड़े पत्थर को देखा तो उससे रहा नहीं गया । वह तुरंत भागकर उस पत्थर पर जा कर बैठ गई ।अभी भी राशि के साथ ही चल रहा था । वह भी काफी थक चूका था । मगर वह जनता था कि थोड़ी दूर पर ही एक ठंढे पानी का झरना