राम और सीता धर्म की मूर्ति थे यह तो पूरी अयोध्या और रघुकुल में विख्यात था। । प्रश्न यह है कि रामराज्य जैसी सुंदर अयोध्या नगरी में मंगल ही मंगल होगा तो फिर मानव लीला का मायने क्या रह जायेगा ? कुछ तो अमंगल भी हो ! सुख है तो दुःख भी हो! यदि नर लीला है प्रभु का, तो अज्ञानियों के लिए प्रभु की लीला जिज्ञासा का विषय भी तो बने । तभी तो ब्रम्हा की रचना सार्थक होगी। इसलिए कहा गया है मानव तन कर्म करने के लिए है। और सूक्ष्म शरीर मे आप क्या कर्म करेंगे सोचिये?