जेन ऑस्टिन - 4

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चैप्टर- 4प्रकृति गर्मियों की विदाई की तैयारी कर रही थी और सर्दियों के आगमन की प्रतीक्षारत थी। कैलेंडर की भाषा में अक्टूबर का महीना शुरू हो चुका था। बाज़ार धीरे-धीरे खुद को सजाने को आतुर हो रहे थे, शायद उन्हें त्यौहारों के आने की खबर मिल गई थी।, ना दिन में बदन से बहते पसीने वाली गर्मी पड़ती थी और ना ही सुबह-शाम आग के आगे बैठने वाली सर्दी, ना ऊपर का नीला आसमां अपना रंग बदलता था और ना ही हवा अपनी दिशाएं, पर इस महीने निशा की ज़िंदगी बदल गई थी। उसके सपने बदल गए थे।, उसकी आकांक्षाएं