उजाले की ओर --संस्मरण

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उजाले की ओर --संस्मरण ------------------------- नमस्कार स्नेही मित्रो बहुत जूझना पड़ता है अक्सर जीवन से लेकिन उसके लिए कोई शॉर्ट कट नहीं है | जो करना होता है ,उसके लिए झूझना ही है ,बिना अपने जीवन का युद्ध स्वयं लड़े बिना कुछ हाथ में आता ही नहीं | और जीवन है कि आगे बढ़ता ही रहता है ,ज़रा सा भी तो नहीं रुकता | साँस लेने की फुर्सत ही नहीं देता |कारण यही है कि यह जीवन है --- जीवन न हो तो कुछ भी कहाँ है ? न लड़ाई ,न झगड़े ,न ही ईर्ष्या ,न ही क्रोध और न