अध्याय 15 12:00 बजे। हॉल के सोफे पर बैठे रंजीता के पास में खड़े दामू दोनों परेशान थे। "क्या है रे..... इनको गए डेढ़ घंटा हो गया। रुपयों को रखकर आने में इतनी देर....?" "रास्ते में गाड़ी ने कुछ परेशानी कर दी होगी ?" "अरे दामू...! तू... बाइक लेकर जाकर एक बार देख कर आ....?" "और दस मिनट देखते हैं।" समय 12:10 । दामू ने बाइक की चाबी को लिया। "दीदी.... मैं जाकर देख कर आता हूं...." रंजीता घबराए हुए सिर हिला दिया - दामू जल्दी-जल्दी बाहर आकर पोर्टिको में खड़ी बाइक को लेकर चल दिया। 12:30 बजे धर्मआणि के