१७.जासूस जन्माष्टमी के बाद से ऑफिस फिर से चालू हो गया। जैसा कि रुद्र ने कहा था। ऑफिस में ही अपर्णा का वंदिता जी से सामना हो गया। लेकिन अपर्णा भी अपनी मम्मी जैसी ही थी। काम और रिश्तों के बीच में एक दीवार खड़ी रखती थी। जिससे उसे काम और रिश्ते दोनों ही अच्छे से संभालना आता था। वंदिता जी भी आखिर में तो एक माँ ही थी। अपनी बेटी को इतनी बड़ी कंपनी में इतनी शिद्दत से काम करता देख उन्हें भी बहुत अच्छा लगा। वो अपर्णा से बात करने के बहाने ढूंढती रहती। लेकिन रूद्र बीच में