यह सच है कि दूसरी औरत को भारतीय समाज ने अभी तक मान्यता नहीं दी है,फिर भी दूसरी स्त्री सदियों से समाज का हिस्सा रही है |साहित्य,संगीत,कला,फिल्म जैसे क्षेत्रों में तो कई ऐसे पुरूष-नाम हैं ,जिनके जीवन में दूसरी स्त्री की महत्वपूर्ण भूमिका रही है|उन स्त्रियों ने इस कहावत को चरितार्थ किया हैं कि ‘हर महान व्यक्ति के पीछे एक स्त्री होती है ‘|वे स्त्रियाँ विवाहित पुरूष से रिश्ते का आधार भावनात्मक लगाव,जुड़ाव,आपसी समझ और साझेदारी बताती हैं और कतई शर्मिंदा नहीं हैं कि समाज उन्हें क्या कहता है ?उनका मानना है कि ‘सही अर्थों में वे ही पुरूष की