किलकारी - अंतिम भाग

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अभी तक आपने पढ़ा विजय के लाख समझाने के बाद भी पारस ने अपना फ़ैसला नहीं बदला। उसके इस फ़ैसले और बातें सुनकर अब विमला, अदिति और छोटी बहुत ख़ुश थे। अदिति ने कहा, "तुम सच कह रहे हो विजय। पारस हमारी जान है और हम पारस की जान। सच कहूँ तो उसके जाने की तैयारियाँ करते वक़्त भी मन के भीतर एक चुभन-सी हो रही थी, बेचैनी हो रही थी, एक दर्द दिल में हो रहा था। ऐसा महसूस हो रहा था, हम अकेले हो जाएँगे। यह बात सता भी रही थी कि पवित्रा की शादी हो जाएगी तो