अनोखी दुल्हन - (साथ और साथी) 41

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वीर प्रताप अपने कमरे में बैठा था।" अजीब है। या तो वह पागल है ? या तो मैं पागल हो रहा हूं ? मेरे साथ हंसती है। मेरे साथ रोती है। उसे फिक्र है मेरी। लेकिन जब कभी भी तलवार कर कर करता हूं। हमेशा मना कर देती है। और क्या कहा था उसमें मैं मेजर जो था इसलिए भावनाएं नहीं है। आर्मी में होना बुरी बात है क्या ? फिर मैं भी गवर्नमेंट सर्वेंट था। आज के जमाने में गवर्नमेंट जॉब मिलना कितनी बड़ी बात है।" वह कुर्सी पर से खड़ा हुआ। " प्रेसिडेंट यहां।" उसने हाथ पैर में