मइंलापुर का सप्ताहिक हाट जहाँ लगता है वहीं एक तरफ कोने के घर में ही गणेश रहता है। आज गणेश विशेष परेशान था। अपने अंगोछे को झटका कर कंधे पर डाल, यहां वहां घूम रहा था। सुबह साढ़े दस बजे के करीब उसकी लड़की को देखने लड़के वाले घर आने वाले हैं। पूर्णिमा के लिए कई वर देखे पर कोई ठीक नहीं बैठा। कई फोटो व जन्म पत्रियां देखी पर निराशा ही हाथ लगी। गणेश व विजया दोनों ने अपने दामाद के लिये जिस स्तर की कल्पना की थी उससे बहुत नीचे उतर कर सामान्य सा ही काफी है सोच