मॉटरनी का बुद्धु---(भाग-15)बच्चे आगे बढते जा रहे थे और संध्या के पास टाइम ज्यादा बचने लगा था, क्योंकि बच्चे मैथ्स और साइंस पढा दिया करते पर 10में संभव को साइंस की ट्यूशन रख कर देनी पड़ी। सभ्यता पापा से पढ लेती थी। संध्या को बच्चों को भेजने के बाद जो थोड़ा टाइम मिलता आस पास के बच्चों को पढाने में निकाल देती या फिर पास के गाँव चली जाती उनको अपने बच्चों को स्कूल भेजने को कहती और औरतों को भी जागरूक करती रहती। खाली बैठना उसे आता ही नहीं था।वो अपनी ही दुनिया में मस्त थे कि सभ्यता अपनी