मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-13)

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मॉटरनी का बुद्धु---(भाग-13)अपने बीते दिनों को याद करते करते कई बार भूपेंद्र जी सो जाते तो कई बार जागते हुए ही रात बीत जाया करती। अगली सुबह अपने टाइम पर उठ कर गेट को बाहर से लॉक करके वॉक पर चल दिए। पार्क में मिलने वाले दोस्तों में राजीव जी के अलावा राघव और विनोद जी भी मिल गए। राघव और विनोद दोनो ही प्राइमरी स्कूल के टीचर थे। कई बार पढाई संबंधी या सरकारी कामों से रिलेटड बातें भूपेंद्र जी से पूछ लिया करते थे तो दोस्ती वाला रिश्ता कायम हो गया था। जहाँ भी मिले अभिवादन का आदान