गरीब और न्याय

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बात उस समय की है जब मैने वकालत की थी और प्रैक्टिस के लिए कोर्ट जाना शुरू क्या था पास के ही जानने वालो ने एक अपने मिलने वाले वकील का नंबर दिया था कोर्ट का पहला दिन था मन मै अलग अलग विचार थे कोई नही दिन बहुत अच्छा बीता शाम को घर आ गए अगले दिन सुबह नहा कर नाश्ता कर के कोर्ट पहुंच गए मेरे सीनियर वकील साहब बोले बेटा कमरा नंबर 2 से तारीख लगवा कर आओ मैं कहा ठीक है सर मैने देखा कि वहा बैठे पेशकार टेबल के नीचे से कुछ लेन देन कर रहे है