श्राप दंड - 6" एक महीना बीत गया है। इन 1 महीनों में मैंने न जाने कितने दृश्यों को देखा उसे बोलकर नहीं बता सकता। केदारनाथ में मैं 3 सालों तक था। वहां पर रहते वक्त कई लोगों के साथ मेरा परिचय हो गया था। उसी वक्त एक पहाड़ी बुढ़िया के साथ मेरा परिचय हुआ। मैं तांत्रिक व साधु - सन्यासी हूं इसी लिए वो मुझे बाबा कह कर बुलाती थी। लेकिन वह बुढ़िया उम्र में मुझसे बहुत ही बड़ी थी। मैं उन्हें माताजी कहकर बुलाता था। वहां रहते वक्त उन्होंने एक दिन मुझे एक शीत पोशाक उपहार दिया था।