निजी स्कूलों के अध्यापकों का दर्द - एक नजर 

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वर्तमान समाज में यदि कोई सबसे दयनीय प्राणी है तो वह है अध्यापक |और अगर वह किसी निजी स्कूल का हुआ तो और भी |वह इतना दबाव झेलता है कि क्या कहें ?एक तो स्कूल प्रबंधन का दबाव ,दूसरे अभिभावकों का ,ऊपर से आज के अनुशासन हीन बच्चे !इतना ही क्यों वर्तमान सरकार भी अध्यापकों पर निरंतर दबाव बनाती जा रही है |बच्चों के पक्ष में बने क़ानूनों ने बच्चों की स्थिति जितनी मजबूत की है ,अध्यापकों की उतनी ही कमजोर |बिगड़ैल बच्चे अपने पक्ष में बने क़ानूनों का बेजा फायदा उठाने में उस्ताद होते जा रहे हैं |वे कक्षा