स्पर्श--भाग (७)

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मधुसुदन जब सुनैना के घर से चला तो सुनैना को इस तरह से मधुसुदन का जाना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा,उसने मन में सोचा कि उस पागल के लिए मधुसुदन मुझे ठुकरा रहा है उसकी इतनी हिम्मत,मैं इस बात का बदला मधुसुदन से जरूर लेकर रहूँगी।। और फिर दूसरे दिन ही वो तेजप्रताप से मिली और उससे बोली.... मैनें बहुत कोश़िश की लेकिन वो मेरे हाथ आता ही नहीं है।। तुझे मैने इस काम के लिए मुँहमाँगे दाम दिए हैं,जब तू एक मर्द को अपने काबू में नहीं कर सकती तो तेरी ये खूबसूरती किस काम की?तेजप्रताप बोला।। अरे!