चाय पर चर्चा - 5

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कुछ देर की खामोशी के बाद रामू काका ने मौन तोड़ते हुए कहा, "कलुआ ! इ तो बहुतै बुरा हुआ निरंजन के साथ। बेचारा बहुत भला आदमी था। लेकिन हमरी समझ में ई बात नहीं आ रही है कि उ बैंक का हिसाब काहें नाहीं भर पाया ? फसल भी तो उसकी अच्छी हुई थी इस बार ! हमारे खेत के बगलवाला खेत उसका ही है इसीलिए हम जानते हैं।"कलुआ को शायद निरंजन के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी सो वह खामोश ही रहना चाहता था कि तभी हरीश बोल पड़ा, " काका ! आप भी कैसी बातें कर