चौथा नक्षत्र - 3

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अध्याय 3 शापसुरभि अचानक अचकचा कर जाग गयी | रात देर तक उसे नींद नही आई थी |सुबह थोड़ी आँख लगी ही थी कि अब फिर घबरा कर नींद खुल गयी | सुरभि को लग रहा था कि जैसे वह अब तक कोई बुरा स्वप्न देख रही थी , कि जैसे कल की घटनाएं वास्तविक नही थी |उसने सिर घुटनो से उठाकर सामने की ओर देखा | उसकी दृष्टि आई.सी.यू. के दरवाजे से टकरा