रश्मि अपने माता पिता की इकलौती संतान थी । पढ़ने लिखने में तेज और अन्य कार्यों में भी सबसे आगे रहती थी । सांस्कृतिक उत्सव कार्यक्रम हो या कोई सामाजिक कार्य , सबमें बढ़चढ़कर हिस्सा लेती । स्वभाव की भोली और सबपर आसानी से विश्वास करने वाली रश्मि ने कभी सपने में भी नही सोचा होगा कि उसकी आने वाली जिंदगी के कुछ दिन बेहद कष्टपूर्ण दहशत भरे होने वाले है । इंसान जैसा स्वयं होता है उसी नज़र से वो बाकी संसार को देखता है । अच्छा इंसान सबमे अच्छाई देखता है वहीं बुरा इंसान औरों की बुराइयाँ तलाशने