...आज रफ़ीक के ऑफिस में भी छुट्टी थी। इसलिए, सारा दिन वह घर पर ही था। समय होने चिंटू को साथ लिए वह सुहाना के घर पहुंचा। छत पर टहल रही सुहाना ने कार से बाहर निकलते चिंटू और रफीक को देख लिया था। नीचे आकर उसने घर दरवाजा खोला। मुस्कुराकर रफीक का अभिवादन किया और उन्हे भीतर बुलाकर बैठने को बोली। चिंटू भी भागकर अपने स्टडी टेबल से चिपक गया। "मुबारक़ हो सुहाना जी, आपने तो इस चुलबुले बच्चे का कायापलट ही कर डाला। न मालूम कौन सी घुट्टी पिलाई है आपने, दिनभर आपका ही नाम लिए फिरता है।