हमनशीं । - 1

  • 4.7k
  • 2.4k

"इतनी जरूरी मीटिंग और ऊपर से लेट हो गया। आज तो मेरी खैर नहीं। पक्का आज तो मुझपर शामत आने वाली है और बॉस से गालियां खाने को मिलेंगी।" – अपनी अम्मी को बोलता हुआ रफ़ीक़ घर से बाहर की तरफ निकला। कार के पास पहुंच चाभी के लिए अपनी जेब में हाथ डाला। "उफ्फ, जिस दिन लेट हो रहा हो। मुसीबतें भी उसी दिन क़हर बनकर आएंगी। अब ये कार की चाभी किधर गई!"- अपनी जेबें टटोलता हुआ रफ़ीक़ खुद से ही बड़बड़ाया। "इसीलिए कहती हूँ भाईजान, कि इस छोटी बहन पर तरस खाओ और जल्दी से निकाह कर