कहते हैं कि अपनी जवानी में हर कोई ख़ूबसूरत होता है। जवानी इंसान की ज़िन्दगी में एक बार आने वाला वो मौसम है जो जिस्म के पोर- पोर को फूल की तरह खिलाकर एक शोख चटक के तड़के से खुशबूदार बनाता है। लड़का हो या लड़की जवानी तो जवानी है। झूम कर आती है। हर बदन पर आती है। लेकिन अपने ही बनाए इस फलसफे पर कुदरत को कभी भरोसा नहीं हुआ। आख़िर इसमें इंसाफ़ कहां है? आदमी को कई बरस में फ़ैला हुआ एक लंबा जीवन मिले और इसमें जवानी का मौसम सिर्फ़ एक बार आए?? अतः कुदरत ने