संयोग-- अनोखी प्रेम कथा - (भाग 4)

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"ज्यादा तारीफ मत करी।ऐसा कुछ नही है।""अगर ऐसा न होता तो लाखों दीवानन होते आपके।""यह सब शंकरजी की मेहरबानी है।"संगीता, राजन के व्यक्तित्व से प्रभावित हुई और राजन तो उसकी आवाज का दीवाना था।पहली मुलाकात में ही दोनो दोस्त बन गये।और धीरे धीरे उनकी दोस्ती बढ़ने लगी।संगीता जब फ्री होती राजन के घर अगर उसकी शूटिंग चल रही होती तो फ़िल्म के सेट पर पहुंच जाती।शंकर को संगीता की राजन से बढ़ती नजदीकियों से दिल को ठेस लगी।वह संगीता को चाहने लगा।प्यार करने लगा था।वह संगीता को अपनी बनाना चाहता था।लेकिन उचित समय पर वह अपने दिल की बात बताना