रवि और पिंकी कई वर्षों से एक दूसरे से बेहद प्रेम करते थे। कविता के प्रति प्रेम उन्हें सोशलमीडिया पर निकट लाया था, और वे एक अदृश्य कच्चे धागे से बंध गये थे। दोनों वास्तव में कभी न मिले थे किंतु शायद ही कोई दिन जाता हो कि दोनों की बात न होती हो, कभी मैसेंजर, कभी फोन। दोनों विवाहित थे, अपने अपने वैवाहिक जीवन में प्रसन्न भी थे। प्रेम सच्चा था, रवि कह देते थे उसे बेलाग, पिंकी कभी झिझक जाती, कभी स्वीकार करती और कभी मुकर जाती, परंतु उनका आत्मिक प्रेम इतने वर्षों में भी कभी न मुरझाया।