खुराक

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’’ माँ कैसी लगीं ?’’ सगाई की रस्म के बाद रेवती को मैं अपने साथ बाहर ले आया । ’’उन्हें लेकर मेरे मन में अभी उत्सुकता है । उन्हें मैं अभी और जानना चाहूँगी,’’ रेवती मेरी पकड़ से बच निकली । ’’क्यों ?’’ अपने परिचितों की व्याख्या और विश्लेषण के लिए सदैव तत्पर रहनेवाली रेवती की टाल-मटोल मुझे खल गयी, ’’तुम्हें वे पसन्द नहीं आयीं क्या ?’’ ’’मैं उन्हें पसन्द हूँ क्या ?’’ रेवती ने जवाबी हमला दाग दिया, ’’उन्होंने भी तो अपने व्यवहार में कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है ।’’ यह सही था । पापा, दादी, बुआ और