ईमानदारी का फल - 4

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अब मनोहर पर दुकान का और ज्यादा बोझ बढ़ गया क्योंकि सेठ जी ने एक और दुकान खोल दी। और उसे भी मनोहर के हवाले कर दिया क्योंकि सेठ को मनोहर पर पूरा भरोसा था।इससे मनोहर की आमदनी भी बढ़ने लगीं क्योंकि पहले मनोहर पहले एक दुकान संभालता था अब दो। अब मनोहर के घर के हालात भी पहले से और अच्छे हो गए थे। उसके बच्चे भी अब अच्छे से पढ़ रहे थे।एक दिन अचानक से सेठ जी बीमार पड़ जाते हैं। तब उनको देखने वाला कोई भी नही होता उनके बच्चे भी उन्हे छोड़ के चले जाते हैं।