श्रापित

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सब कुछ पहले की तरह है, लेकिन अब कोमल में शायद पहले जैसी कोमलता नहीं रही। हर छोटी बातों पर खिलखिला कर हंस देने वाली कोमल कब चिढ़ जाएगी। इसका आकलन कोई कर सका.. सच तो यह है जिसे अपने अल्हड़पन से मोहब्बत थी उसे अब जीवन का कोई रंग आर्कषित नहीं कर रहा... एक समय में जब मैं कोमल को देखती थी तो लगता था की जीवन इतनी ही निश्रिंतता के साथ हमें जीना चाहिए। लेकिन अब हर कोई उसके माथे में बनी चिंताओं की लकीरे साफ-साफ देख लेता है। बिना प्रेम में रहे कम उम्र में प्रेम को