वेश्या का भाई - भाग(१९)

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सबको दवाखाने से लौटते-लौटते दोपहर हो चुकी थी,सबके मन में हलचल भी मची थी कि माई अंग्रेजी में गोरे डाक्टर से क्या गिटर-पिटर कर रही थी ?क्योकिं चारों में से कोई भी पढ़ा लिखा नहीं था,किसी को ना तो हिन्दी पढ़नी और ना ही हिन्दी लिखनी आती थी अंग्रेजी तो दूर की बात थी,बस शकीला और कुशमा को ऊर्दू इसलिए आती थी कि उन्हें गुलनार ने ऊर्दू पढ़ना सिखवाया था एक मदरसे के मौलवी साहब से,चूँकि दोनों को गजलों की किताबें पढ़नी होतीं थी इसलिए.... सभी झोपड़ी में दाखि़ल हुए,सबसे पहले कुशमा ने सबको घड़े का ठण्डा पानी पिलाया