गुलनार और नवाबसाहब को ये मालूम नहीं चला कि उन दोनों की बातें परदे के पीछे से बहु-बेग़म सल्तनत सुन रहीं थीं,दोनों की साजिश का पर्दाफाश करने के लिए सल्तनत फौरन ही सादे कपड़ो में बुर्का डालकर एक नौकर से मंगल की कोठरी का पता पूछते हुए वहाँ जा पहुँचीं,वहाँ मंगल तो मौजूद नहीं था लेकिन रामजस मौजूद था,वो शायद दोपहर का खाना खाने आया था,तभी सल्तनत ने रामजस से पूछा.... मंगल कहाँ हैं? जी! अभी वें कुछ देर पहले ही यहाँ से खाना खाकर गए हैं,रामजस बोला।। ओहो....तब तो देर हो गई हमें,सल्तनत बुर्के के भीतर से ही