बसंती की बसंत पंचमी - 8

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धीरे- धीरे दिन निकलते जा रहे थे। दुनिया बदलती जा रही थी। घर - घर की कहानी एक सी ही होती जा रही थी। परिवार सिमट- सिकुड़ कर घर में ही कैद रह गए थे।लोग भूलने लगे थे कि कभी उनके पास घर के कामकाज के लिए घरेलू नौकर, ड्राइवर, काम वाली बाई आदि हुआ करते थे।श्रीमती कुनकुनवाला भी कई दिन तक बेटे के फ़ोन की जासूसी करने के बाद अब लापरवाही से सारी बात भुला बैठी थीं। क्या करतीं, उन्हें वैसा कोई संकेत मिला ही नहीं कि बेटा किसी प्रेम - वेम के चक्कर में है। फ़िर बिना बात