फ़ोन आता तो वो इस उम्मीद से उठातीं कि कहीं से उन्हें कोई ये खबर मिले- लो, मेरी महरी तुम्हारे यहां आने के लिए भी राज़ी हो गई है, कल से आ जाएगी।पर ऐसा कुछ नहीं होता। उल्टे उधर से उनकी कोई अन्य सहेली चहकते हुए बताती कि उसे नई बाई मिल गई है। अच्छी है, पहले वाली से थोड़ा ज्यादा लेती है पर साफ़ सुथरी है। मेहनती भी। उम्र भी कोई ज़्यादा नहीं।- अरे तो उससे कह ना, थोड़ा सा समय निकाल कर मेरे यहां भी कम से कम बर्तन और झाड़-पौंछ ही कर जाए। कुछ तो सहारा मिले।-