कुछ वक्त के बाद केशर बाई की पालकी नवाबसाहब की हवेली के सामने जाकर रूकी,साथ में बब्बन और जग्गू भी पीछे पीछे आ पहुँचें,केशरबाई जैसे ही पालकी से उतरी और उसके कद़म जैसे ही हवेली के दरवाज़े पर पड़े तो उसने उसी शख्स को वहाँ पर देखा जो कल रात उसके कोठे पर आया था,उसे देखकर केशरबाई कुछ ठिठकी लेकिन कुछ सोचकर उसने आगें कद़म बढ़ा दिए।। वो अपनी मदहोश़ करने देने वाली अदाओं के साथ महफ़िल में दाखिल हुई,उसकी मस्तानी चाल ग़जब ढ़ा रही थी,उसका अनारकली गहरे हरे रंग का लिब़ास वहाँ मौज़ूद लोगों पर बिजलियाँ गिरा रहा