वेश्या या तवायफ़ एक ऐसा शब्द है जिसे सुनने के नाम मात्र से ही घृणा होने लगती है,सभ्य समाज के लोंग इस शब्द को और ये शब्द जिससे जुड़ा है उसे अभद्र मानते हैं लेकिन कभी किसी ने ये सोचा है कि जो वेश्या बनती है वो स्वयं नहीं बनती ,बनाई जाती है और हमारा ये सभ्य समाज ही उसे ये कार्य करने पर विवश करता है, वो वेश्या भी एक साधारण जीवन जीने की इच्छा रखती है,वो भी अपने लिए सम्मान चाहती है,वो भी चाहती है कि उसका एक परिवार हो जिसका वो ध्यान रखें,परन्तु उसकी भावनाओं को