क्या ये ही मेरी जीत थी 

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"नहीं, नहीं, नहीं…एक बार मना कर दिया फिर भी समझ में नहीं आता क्या राधा ? क्या ज़रूरत है अभी मायके जाने की ? बार-बार जाने की ज़िद करके, फिर नाराजी दिखाती हो। 25 साल भी तुम्हें कम पड़ गए क्या, वहाँ सब के साथ में रहने के लिए।" "इसी बात को तो तुम्हें समझना पड़ेगा ना राजन। 25 साल रही हूँ, कैसे छोड़ दूं और क्यों छोड़ दूं ? महीने दो महीने के लिए जाने का नहीं बोल रही हूँ। सिर्फ़ दो-तीन दिनों के लिए ही तो जाना चाह रही थी। बहुत याद आ रही है सबकी।" "दो दिन क्या राधा मैं तुम्हें दो घंटे की भी इजाज़त नहीं दूंगा।"