शिकायतों की टोकरी भगवान जी के नाम

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भगवान जीप्रणामवैसे तो बात करनी नहीं थी आपसे पर आपने इतने सारे ई मेल कर दिया की उनका जवाब देने के लिए मुझे बाध्य होना पड़ा। और प्रणाम तो करना नहीं था क्युकी मैं आपसे नाराज हु पर क्या करू आप हो भी इतने अच्छे इतने दिल के करीब की सर झुके बिना रह ही नहीं पाता। चलो अब ढेर सारा आशीर्वाद दे देना ताकि संजो के रख सकु। क्या पता वापस कब आप याद फरमाये। यूँ तो शिकायते हज़ारों है आपसे पर इस बार बस इतना पूछना है की मुझे भी तो आपने बनाया है नाफिर क्यों में दुसरो जैसी