बंधन प्यार का

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भाग - 1 "हर इंसान की एक सिक्रेट स्टोरी होती है बाबू भाई... और जैसे प्रत्येक इंसान की होती है न... वैसी मेरी भी है, लेकिन उसमें ठोड़ी पेंच हैं...।" "कैसी पेंच है बे ?" -बाबू भाई ने मुस्कुराते हुए मुझसे बोला था। और बाबू भाई को बोलते ही मैं हँसते हुए बोल पड़ा था, - "जानकर क्या करोगे बाबू भाई। इधर से सुनोगे और जाकर उधर किसी के कान में मेरी ही कहानी को रस भर - भरकर फूंक दोगे । " " अबे बांगड़ू, जब तेरे को मेरे ऊपर भरोसा ही नहीं है तो फिर ये राग क्यों अलाप रहे हो आईं...! एक तो आज सुबह से ही मालक