मोहम्मद जानते हैं कि प्रफुग इकाई में विश्वास रखताहैं, और इसलिए उसे सहायता करने की ना करने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता. मगर नवाजुद्दीन यह भी जानते हैं कि यदि प्रफुग हमारे सर पर हाथ रखेगा तो उसके कुछ उसूल भी हमें कुबूल करने होंगे. यह कोई आर्थिक संविधान नहीं है जो, बिना शर्त के आपको रुपया दे देगा. आने वाले हैं वर्षों में इस भूमंडल का सबसे बड़ा व्यापार होगा जिसके व्यावसायिक सूत्र कठोर से भी अधिक कठोर होंगे. आखिरकार वो दिन आ ही जाता है जब, फिर से एक बार जमीन से 100 मीटर नीचे लोहे के