कहते है जब शिशु जन्म लेता है तो जन्म से उसके 5 साल होने तक उसको जितना प्यार दे सको उतना देना चाहिए। फिर 5-10 तक उससे सख्त व्यवहार करना चाहिए, और 10-16 तक उसका दोस्त बन जाना चाहिए।किशोरव्यस्ता के बाद जीवन मे बहुत पड़ाव आते है,जहाँ उनको एक ऐसे साथी की ज़रूरत होती है जिसके साथ सारी परेशानी बांट कर और अगर वो भटक रहे है तो उनको सही मार्गदर्शक की ज़रूरत होती है, जो माता-पिता से बढ़कर कोई नही हो सकता, एक वही हैं जो अपने बच्चों को किसी अवसाद से निकाल सकते है, जो उनको ढेरों खुशियां