टेढी पगडंडियाँ 35 दस बजते न बजते बिशनी दाई ने हवेली के दरवाजे पर आकर आवाज लगाई - सरदारनी ओ सरदारनी , ल्या कोई सुच्ची सूट , कोई गुङ का थाल , कोई झांझर का जोङा । कोई टूम छल्ला । खोल रूपयों की थैली का मुँह । तेरी वेल बढे । हवेली और हवेली वालों के भाग जगे रहें । आ बिशनिए आजा । आ बैठ । चन्न कौर ने रसोई से ही आवाज दी । बिशनी अंदर आ गयी । और आँगन में आकर खङी हो गयी ।चन्न कौर ने लस्सी का गिलास भरा । कटोरी में