1 DEC. 2021 AT 19/20 परम् या सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्क वही हैं या उसी आत्मा का हैं जो सभी मस्तिष्क को समान महत्व दें; वह आत्मा का मस्तिष्क अपना कर्म करें, अन्य को भी अपना कर्म करने की ही प्रेरणा दें; उनका कर्म कर स्वयं का अनुगमन करने की कह कर दूसरों को पंगु नहीं बनायें। वह अन्य मस्तिष्कों के समक्ष उन्हें बिना उचितता और अनुचित्ता या सही- गलत बतायें वास्तविकता के दोंनो पहलुओं को उनके समक्ष रखें और उनकी स्वतंत्रता को बाधित किये बिना अनुकूल चयन करने हेतु विकल्प दें; यदि उनका चयन . . .