बीते कुछ वर्षों से कहानियों में मेरा रूम, एकांत, दोपहर, शाम, आस्था नाम की लड़की अक्सर शामिल रहे हैं। असल में यह सभी शब्द मेरे कलाकार है, जो कहानियों को लिखते वक्त अभिनय करते है। उन्हें अभिनय करना भी मैंने ही सिखाया है। जब लिखना शुरू नहीं किया था वे तब से मेरे साथ है। जब लिखने लगा तब मेरे पास लिखने को वही था, इसलिए उन्हे अपने संघर्ष का साथी मानता हूं। पांचों कलाकार कहानियों में अभिनय कर इतना अभ्यस्त हाे चुके हैं कि अब झूठ को सच साबित करने वक्त नहीं लगता। उन कलाकारों का परिचय दूं तो