टेढी पगडंडियाँ - 34

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टेढी पगडंडियाँ 34 सिमरन के हाँ कहते ही गुरनैब को लगा कि वह फूल से भी हलका हो गया है । कब से किसी को यह बात बताने को वह बेचैन हुआ पङा था । इतनी बङी खबर उससे अकेले हजम कैसे होती । आज चाचा जिंदा होता तो वह मरासियों को बुलाके ढोल बजवाता हुआ घर आता । अभी चाचा को गये पंद्रह दिन नहीं हुए । घर से मातम खतम नहीं हुआ । हर तरफ उदासी छाई है फिर भी खबर तो मन को ठंडक देने वाली हुई न । उसके सगे चाचे का अंश