तड़प--भाग(४)

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राजमाता चित्रलेखा का दो टूक जवाब सुनकर शिवन्तिका सहम गई,उसे अब अपनी मौहब्बत ख़तरे में नज़र आ रही थी,उसने सोचा कि उसके मन की बात शायद उसकी दादी कभी नहीं समझ पाएंगी,इसलिए उसने टेलीफोन करके फौरन ये बात अपनी सहेली सुहासा से कही,सुहासा बोली.... उन्हें थोड़ा वक्त दे शायद वो तेरी बात समझ जाएं।। लेकिन सुहासा! मुझे नहीं लगता कि दादी कभी भी इस रिश्ते को मानेंगीं,शिवन्तिका बोली।। तेरे पास और कोई चारा भी नहीं है,किससे कहेगी? कौन समझाएगा तेरी दादी को? ना तेरी माँ हैं और ना तेरे पिता,जो इस बात को सम्भाल लेते,तेरी दादी के सिवाय तेरा अपना