जीवनधारा - 10

  • 3.9k
  • 1.9k

...अपने घर की ओर पैदल ही आगे बढ़ती पूजा को रोकने की हिम्मत रूपेश को न हुई और वहीं खड़ा उसे दूर तक जाता देखता रहा । पूजा के आंखो से ओझल होने के बाद रूपेश भी वापस अपने घर की तरफ मुड़ गया। घर पहुँचकर पूजा बिना किसी से कुछ बोले अपने कमरे में आकर फूट-फूट कर रोती रही । बाहर से माँ के आवाज़ लगाने पर खुद को संभाली और आंसुओं को पोछती हुई कमरे से बाहर निकली । बहुत देर तक सोफे पर बैठ कुछ सोचती रही। फिर, किसी को फोन मिलायी और कुछ जरूरी बातें बताने