अनसुनी दास्तान

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मोहल्ले में पहले ही मकान में वो रहती थीखूबसूरती की वो मूरत थी मगर अभिमानबिल्कुल नहीं करती थी सबके साथघुलमिलकर रहती थी सबको अपनी तरफ सेज्यादा से मदद मिले उसके लिए तैयार रहती थीउसको अपने परिवार की तरफ से भी मानसन्मान मिलता था.पति बच्चे सास ससुरसब उसे अपनी पलको पे बिठा कर रखते थे.कभी कभी परिवार में छोटी छोटी बातोंको लेकर बहस हुआ करती थी मगर फिर भीठीक से ही चल रहा था सबकुछ.शादी से पहले उसने बहोत कुछ सोच रखा थाकी जिंदगी में कैसे आगे बढ़ना हैं घरपरिवार को कैसे संभालना हैं सक ढेर सारे सपने देखे थे जिन्हें