राम के सहारे-पं. बद्री नारायण तिवारी

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राम के सहारे हिन्दी को विश्व में स्थान दिलाते पं. बद्री नारायण तिवारी रामगोपाल भावुक डॉ. भगवान स्वरूप शर्मा‘चैतन्य’ जी के सम्पादन में म.प्र. तुलसी अकादमी भोपाल से रत्नावली उपन्यास के प्रकाशन के बाद 24 दिसम्बर 1999 ई को पं. बद्री नारायण तिवारी जी के आमंत्रण पर मैं पहली बार उनसे मिला था। उन्होंने पूछा-‘ आप कहाँ से?’ मैंने उत्तर दिया-‘डबरा से।’ वे बोले-‘अच्छा तो आप डबरा में रहते हैं!’ उनकी यह बात सुनकर मेरे कान खड़े हो गय। मैंन उन्हें उत्तर दिया-‘ हम इस नगर का नाम संस्कृत साहित्य केे गौरव