प्यार के इन्द्रधुनष - 37

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- 37 - हरलाल का स्वास्थ्य पिछले काफ़ी समय से ठीक नहीं चल रहा था, इसलिए डॉ. वर्मा को जब भी समय मिलता, वह गाँव चली जाती थी। जब जाती थी तो एक रात अवश्य वहाँ रुकती थी। पिछले रविवार को जब वह गई तो उसने परमेश्वरी को कहा - ‘माँ, आप पापा को समझाओ और मेरे साथ चलो। वहाँ पापा की देखभाल अच्छे से हो सकेगी। खेत और फसल के बारे में मामन से फ़ोन पर पूछ लिया करेंगे।’ ‘तेरी बात तो ठीक है, किन्तु तेरे पापा इसलिए शहर नहीं जाना चाहते, क्योंकि वहाँ लगातार रहने में इन्हें घुटन