सात फरवरी दो हजार सोलह को हमारा रीट का एग्जाम था और दिसम्बर दो हजार पंद्रह के अंत में हमारी कोचिंग पूरी हो गयी। उसके पश्चात एग्जाम तक हम रूम में ही रहे और अपना अध्ययन किया।संघर्ष के दिनों में यह महीना सर्वाधिक महत्वपूर्ण था। दिनचर्या में पढ़ाई ऐसे बस गयी थी कि अब सपने में भी जीके और कोचिंग क्लास ही आती। प्रातः तो आराम से ही उठते थे । गुरुदेव से मैं थोड़ा सा जल्दी उठ जाता था क्योंकि गुरुदेव तो रात के तीन तक बजा देते थे और मेरी आँखें एक बजाते- बजाते बेहोशी में चली जाती