गुरुदेव - 6 - (संघर्ष)

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जयपुर की सिटी बस और उसमें कोई अनजान व्यक्ति किसी से फ़ोन नंबर मांगे और कहे कि "मुझे आप बहुत अच्छे लगे। आपसे और बाते करनी है कृपया मुझे अपने फ़ोन नंबर देना।" यह विलक्षण प्रतिभा गुरुदेव में कैसी थी इसका वर्णन करना मेरी लेखनी से परे है। बस में और साथ ही बाजार हो या कोई भी अन्य जगह मेरी और गुरुदेव की अधिकतर बातें तुकांत में ही होती थी। मेरे काव्य में अगर थोड़ा बहुत रस है तो उसमें गुरुदेव के सानिध्य का ही प्रभाव है। एक बार हम ऐसे ही बस में तुकांत में बातें कर रहे थे और